उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव 2022 (Uttrakhand Assembly Election 2022) की तारीख नजदीक आ रही है और ऐसे में उत्तराखण्ड राज्य की एक महत्वपूर्ण सीट अल्मोड़ा (Almora) की जनता इस क्षेत्र के प्रशासन से काफी नाखुश दिखाई दे रही है। स्थानीय जनता की इस नाखुशी के पीछे की मुख्य वजह पानी है। दरअसल, अल्मोड़ा विधानसभा क्षेत्र के निवासी पिछले 3 दशकों से पानी की किल्लत (water shortage) का सामना करते आ रहे है। उनकी इस समस्या का अभी तक कोई समाधान नही हो सका है।
आपको बता दे कि उत्तरखंड राज्य दो दशक पहले उत्तरप्रदेश राज्य का अभिन्न भाग था लेकिन इस क्षेत्र को उत्तर प्रदेश से अलग करने की मांग को लेकर काफी लंबे समय से आन्दोलन चल रहा था। संघर्षों की बढ़ती ज्वाला को देखते हुए 9 नवम्बर, 2000 को उत्तराखण्ड राज्य को भारत के 27वें गणराज्य के रूप में शामिल कर लिया गया। जब यह UP से अलग हुआ था तो इसे 2000 से 2006 तक उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। लेकिन साल 2007 में स्थानीय लोगों की भावना को सम्मान देते हुए इसका नाम उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
उत्तरप्रदेश से अलग होने के बाद एक सम्पूर्ण राज्य (उत्तराखण्ड) के बनने से लोगों को लगा था कि अब उनकी इस समस्या पर ध्यान दिया जाएगा। फिर भी तब से लेकर अब तक कई सरकार आई और गयीं लेकिन किसी भी सरकार ने जनता की समस्या पर ध्यान नही दिया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सर्दी के समय में ठंड और बरसात के समय में मुश्किल से गुजारा तो हो जाता है। लेकिन गर्मी के समय में पानी की भारी किल्लत के चलते काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन पानी के सभी स्त्रोत सीमित संख्या में है। जिसके चलते क्षेत्र की आधी से भी ज्यादा संख्या को पानी की आपूर्ति पूरे रुप से नही हो पाती। स्थानीय लोगों ने पानी के स्त्रोतों को बढ़ाने की बात कहते हुए सरकार से पानी की उपलब्धता करने की बात कही है।
एक निवासी ने बताया कि दशकों पहले अंग्रेजों ने मठेला में पानी का पम्प लगाया था लेकिन उसके बाद से किसी भी सरकार ने इसे लेकर कोई ध्यान नही दिया। उन्होंने बताया कि किसी भी सरकार ने पुराने पानी के स्रोतों की सुरक्षा पर भी ध्यान नही दिया। क्षेत्र में लगातार बन रहे घर और लोगों की बढ़ती जनसंख्या के चलते मुख्यालय में 16mg पानी की आवश्यकता है लेकिन इस 16mg में से महज 8mg पानी ही लोगों को मिल पा रहा है। पानी की भारी किल्लत (water shortage) की वजह से इस क्षेत्र में आये दिन झगड़ा होता रहता हैं। पानी की इस गम्भीर समस्या के चलते हर वार्ड में दो से तीन दिन में पानी आता है। पानी को लेकर हुए झगडों को सुलझाने के लिए कभी तो पुलिस को भी तैनात करना पड़ता है। स्थानीय निवासियों का इस चुनाव को लेकर कहना है कि जो भी प्रत्याशी लोगों की इस समस्या पर ध्यान देगा, स्थानीय जनता उसे ही वोट करेगी।
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