पौराणिक कथा व उपनिषद के अनुसार जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो उन्हें अपनी बनाई सृष्टि में कुछ कमी का अनुभव हुआ। स्वयं के द्वारा किए गए संसार के सृजन से भगवान ब्रह्मा संतुष्ट नहीं थे। उन्हें संसार में कोई कमी लग रही थी, जिसके कारण चारों और गहरा मौन छाया हुआ था। इस समस्या के समाधान के लिए भगवान ब्रह्मा ने अपने कमंडल के जल से देवी सरस्वती का आह्वान किया। देवी सरस्वती के हाथों में वीणा थी जैसे ही देवी सरस्वती ने वीणा बजाई संसार की हर वस्तु में स्वर आ गया।
एक पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग में श्रीराम माता सीता की खोज में दक्षिण दिशा की ओर गए तो वह शबरी नामक भीलनी से मिले, जब भगवान श्रीराम उनकी कुटिया में पधारे तो उसने खुद को बहुत भाग्यशाली समझा और बेर चख-चखकर श्रीराम को खिलाने लगी। जो बेर मीठा होता शबरी वही बेर भगवान राम को खिलाती। कहा जाता है जब श्री राम शबरी की कुटिया में पहुंचे थे तो वो दिन बसंत पंचमी का ही दिन था। उस जगह शबरी माता का एक मंदिर भी है। उस क्षेत्र के लोग आज भी उस शीला की पूजा करते हैं जहां भगवान राम बैठे थे।