आज के दिन मां की ठीक वैसे ही पूजा करें जैसे नवारित्र के अन्य दिन करते हैं। परंतु इस बात कर ध्यान रहे कि स्कंदमाता की पूजा कंबल के आसन पर बैठकर ही होनी चाहिए। आसपास कलश पर गंगाजल का छिड़काव करें। माता की आरती के लिए घी का दीपक या कपूर का प्रयोग करें। माता को पीली रंग की वस्तुएं अति प्रिय हैं। इसलिए पीले फूल, फल, वस्त्र आदि मां को अर्पित करें।
जय तेरी हो स्कंद माता। पांचवा नाम तुम्हारा आता।।
सब के मन की जानन हारी। जग जननी सब की महतारी।।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं। हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।।
कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा।।
कही पहाड़ो पर हैं डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा।।
हर मंदिर में तेरे नजारे। गुण गाये तेरे भगत प्यारे।।
भगति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।।
इंद्र आदी देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे।।
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं। तुम ही खंडा हाथ उठाएं।।
दासो को सदा बचाने आई। ‘चमन’ की आस पुजाने आई।।
पूजा के अंत में क्षमा प्रार्थना जरूर पढ़े
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥1॥