नीतीश कुमार के मंत्री किसी ना किसी विवाद के चलते हमेशा ही चर्चा में बने रहते है। इस बार भी बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर पर एक विवादित बयान दे दिया है। बिहार के शिक्षा मंत्री के दिए इस बयान का विरोध होना भी शुरु हो गया है। राजधानी पटना में नालंदा ओपन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शिक्षा मंत्री छात्रों को संबोधित कर रहे थे उसी समय उन्होंने यह विवादित बयान दिया।
बिहार के शिक्षा मंत्री ने दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि रामचरितमानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। रामचरित मानस के अलावा मंत्री चंद्रशेखर ने मनुस्मृति और बंच ऑफ थॉट्स के लिए कहा कि इन किताबों को जला देना चाहिए। ये किताबें लोगों को सदियों पीछे धकेलने का काम करती है। उन्होंने कहा कि "ये किताबें समाज को आपस में बांट रही है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि मनुस्मृति को क्यों जलाया गया, क्योंकि उसमें एक बड़े तबके के खिलाफ बहुत सारे अपशब्द लिखे गए है। रामचरितमानस का विरोध क्यों किया गया और किस हिस्से का विरोध किया गया?" उन्होंने कहा कि "निचली जाति को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी। और रामचरित मानस में कहा गया है कि निचली जाती के लोग ज़हरीले होते है। शिक्षा रुपी दूध पीकर सर्प जैसे हो जाते है"
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