तकनीकी मंदी उस स्थिति को कहते है जब किसी देश की अर्थव्यवस्था में दो तिमाहियों से लगातार संकुचन देखने को मिल रहा हो. वस्तुओं और सेवाओं का सारा उत्पादन आमतौर पर GDP के रूप में मापा जाता है और जब यह एक तिमाही से दूसरी तिमाही तक बढ़ता है तो अर्थव्यवस्था के विस्तार की अवधि (Expansionary Phase) के रूप में जाना जाता है.
मंदी की अवधि (Recessionary Phase) इसके विपरीत होती है यानी इसमें वस्तुओं और सेवाओं का सारा उत्पादन एक तिमाही से दूसरी तिमाही में कम हो जाता है. इस प्रकार ये दोनों स्थितियाँ एक साथ मिलकर अर्थव्यवस्था में 'व्यापार चक्र' (Business Cycle) का निर्माण करती हैं.
अधिक समझने के लिए यहीं आपको बतादें कि यदि किसी अर्थव्यवस्था में मंदी की अवधि (Recessionary Phase) लंबे समय तक रहती है तो ऐसा कहा जाता है कि अर्थव्यवस्था में मंदी (Recession) की स्थिति आ गई है. अर्थात जब GDP किसी अर्थव्यवस्था में एक लंबे समय तक संकुचित होती रहती है तो ऐसा माना जाता है कि अर्थव्यवस्था मंदी में पहुंच गई है.
ऐसा भी कुछ स्पष्ट नहीं है कि कितने समय तक अर्थव्यवस्था में संकुचन को मंदी कहा जाएगा. और यह भी तय नहीं है कि GDP मंदी को निर्धारण करने का एकमात्र कारक है.
1. जब किसी अर्थव्यवस्था में मंदी की अवधि काफी समय तक रहती है, तो इसे मंदी (Recession) के रूप में जाना जाता है. वहीं तकनीकी मंदी (Technical Recession) उस स्थिति को कहते है जब किसी देश की अर्थव्यवस्था में दो तिमाहियों से लगातार संकुचन देखने को मिल रहा हो.
2. कई जानकार के अनुसार मंदी में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल किया जाता है, जिसमें कई आर्थिक पहलुओं जैसे कि रोजगार, घरेलू, कॉर्पोरेट आय इत्यादि के संस्करण शामिल हैं. दूसरी तरफ तकनीकी मंदी में मुख्य रूप से GDP ट्रेंड्स को स्नैपशॉट के लिए उपयोग किया जाता है.
3. मंदी लंबे समय तक रहती है वहीं तकनीकी मंदी कम समय तक.
4. मंदी किसी एक घटना या कारक के कारण नहीं होती है और दूसरी तरफ तकनीकी मंदी अक्सर एकल घटना के कारण होती है.