Diwali 2022: दीपों का पर्व दिवाली इस साल 24 अक्टूबर को मनाया जाना है और ऐसे में लोग दिवाली की तैयारियों में जुटते हुए नजर आ रहे हैं। घर की साफ-सफाई से लेकर साज-सजावट तक का काम भी होना शुरू हो गया है। दिवाली महज एक त्योहार ही नहीं, बल्कि एक धार्मिक आस्था से भी जुड़ाव रखने वाला प्रमुख त्योहार है।
माना जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन श्री राम भगवान माता सीता और अपने छोटे भाई लक्ष्मण सहित 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। जिस कारण अयोध्यावासियों ने उनके आगमन की खुशी में पूरी अयोध्या को दीपों से सजाया था।
हालांकि, दिवाली के दिन को लेकर कुछ लोगों के मन में यह भी सवाल रहता है कि जब दिवाली श्री राम जी के अयोध्या आगमन के रूप में मनाई जाती है, तो इस दिन राम जी की पूजा की जगह माता लक्ष्मी की पूजा क्यों होती है? आखिर दिवाली पर माता लक्ष्मी की पूजा करने को लेकर क्या कारण है?
आपको बता दें कि दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा को लेकर कई कथाएं है, लेकिन उन्हीं में से एक कथा काफी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था, तो इसमें से काफी अमूल्य रत्न निकले थे। इन 14 रत्नों में से एक रत्न की उत्पत्ति माता लक्ष्मी के रूप में हुई थी और जिस दिन लक्ष्मी निकली थी, उस दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या थी। जिसके चलते दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
इसके साथ ही माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि के तौर पर देखा जाता है। मान्यता है कि माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में हमेशा धन,धान्य, सुख, वैभव बना रहता है। जिसके कारण दिवाली पर लक्ष्मी माता की पूजा विशेष तौर पर होती है।
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