चुनावों के दौरान मुफ्त उपहारों की घोषणा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीति आयोग, फाइनेंस कमीशन, भारत सरकार, विपक्षी दल, रिजर्व बैंक और सभी हितधारक मिल कर मुफ्त घोषणाओं के लाभ हानि पर विचार करके सुझाव दें क्योंकि इन मुफ्त घोषणाओं का अर्थ व्यवस्था पर बहुत असर पडता है। केन्द्र सरकार ने राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त की घोषणा पर रोक की मांग वाली याचिका का सुप्रीम कोर्ट में सैद्धान्तिक तौर पर समर्थन किया।
केंद्र सरकार ने कहा इस तरह की घोषणा से अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ता है। ये अर्थ व्यवस्था के लिए विनाशकारी है।पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त सुविधाएं देने के वादों पर नियंत्रण होना चाहिए। चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सुविधाएं देने के मामले में CJI एनवी रमना ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से भी राय मांगी थी। उस पर कपिल सिब्बल ने कहा था कि यह एक गंभीर मुद्दा है। लेकिन इस मामले में राजनीतिक रूप से नियंत्रित करना मुश्किल है।