यति एयरलांइस का विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद एक बार फिर नेपाल हवाई इंडस्ट्री सुर्खिंयों में है। इस हादसे का मुख्य कारण क्या है ये बात तो अभी तक सामने नहीं आई है, विशेषज्ञों का कहना है कि मामले की जांच के बाद ही इस बात का पता चल सकता है कि आखिर ये हादसा किस कारण से हुआ जिसकी वजह से 69 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। नेपाल में ये कोई पहला हादसा नहीं है। आपको बता दें कि यूरोपीय कमीशन ने नेपाली एयरलाइंस पर 28 देशों के ब्लॉक में उड़ान भरने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है। पिछले 30 साल में नेपाल में 28 हवाई हादसे हो चुके हैं इनमें प्रमुख है।
जुलाई 1992 में नेपाल में पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस का एक विमान काठमांडू इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, उसमें सवार सभी 167 लोगों की जान चली गई थी।
साल 2010 में तारा एयरलाइंस का एक विमान उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसमें 22 लोग की मौत हो गई थी जिसमें 3 क्रू मेंबर भी शामिल थे। साल 2010 में ही एक और विमान हादसे में 14 लोगों की जान चली गई थी।
सितंबर 2011 को बुद्ध एयर का एक विमान ललितपुर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना में 22 लोग हादसे का शिकार हुए थे, जिनमें 10 भारतीय शामिल थे।
साल 2012 की शुरुआत में एक विमान हादसा हुआ था जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी। सितंबर 2012 में ही नेपाल हवाई हादसे में 19 लोगों की मौत हो गई थी।
फरवरी 2016 में एक विमान का मलबा नेपाल के म्यागदी जिले में मिला था। इस विमान ने पोखरा ने जोमसन के लिए उड़ान भरी थी और उड़ान भरने के 8 मिनट बाद लापता हो गया था, इस घटना में 23 लोगों की जान चली गई थी।
साल 2018 में एक विमान त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 51 लोग मारे गए थे।
साल 2019 में एयर डायनेस्टी कंपनी का हेलिकॉप्टर एक पहाड़ी से टकरा गया था। इसमें नेपाल के पर्यटन मंत्री रविन्द्र अधिकारी और उद्यमी आंग छिरिंग शेरपा के साथ 7 लोगों की जान चली गई थी। यह हेलिकॉप्टर रास्ता भटकने के बाद क्रैश हो गया था।
नेपाल एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के अशोक पोखरियाल के अनुसार पुराने विमानों में मॉडर्न वेदर रडार नहीं होते हैं। इस वजह से पायलट को रियल टाइम में मौसम की जानकारी नहीं मिल पाती है। नेपाल में विमान का कारण बेहतर रडार तकनीक की कमी होना भी है। इसकी वजह से पायलटों को दुर्गम इलाके और मुश्किल मौसम में नेविगेट करना मुश्किल हो जाता है।
नेपाल में वर्क फोर्स की कमी के कारण कुछ स्टाफ को नियमित ड्यूटी करनी पड़ती है, कई बार ऑवर टाइम भी करना पड़ता है ये काम की गुणवत्ता को प्रभावित करता है जिस कारण विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाते है।
नेपाल में बर्फबारी के कारण पायलटों से होने वाली थोड़ी सी चूक भी लैंडिंग को खतरनाक बना सकती है। इस समय रनवे काफी खतरनाक हो जाता है जो कि लैंडिंग के लिए अनुकूल नहीं होता।
नेपाल में मौसम तेजी से बदलता है, मौसम के कारण पायलटों को विमान को नेविगेट करना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि अचानक से मौसम में परिवर्तन के कारण सामने कुछ भी आसानी से दिखाई नहीं देता।
नेपाल में खतरनाक भौगोलिक स्थिति भी पायलटों के सामने बड़ी चुनौती है। नेपाल का एकमात्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट समुद्र तल से 1,338 मीटर ऊपर है यह एक संकरी घाटी में है, इस वजह से विमानों को मुड़ने के लिए काफी तंग जगह मिलती है। जिससे हवाई दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है।
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