Lohri 2023:नवविवाहित जोड़ों के लिए लोहड़ी का त्योहार बहुत खास है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है। कहा जाता है कि जब राजा दक्ष ने भगवान शिव और देवी सती का अपमान किया था तो देवी सती ने आत्मदाह कर लिया। उसके बाद भगवान शिव ने क्रोध में आकर राजा दक्ष का सर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन ब्रहमाजी की कहने पर भगवान शिव ने राजा दक्ष के सिर के बदले उन्हें बकरे का सिर दे दिया। इसके बाद देवी सती ने पार्वती के रुप में जन्म लिया तो राजा दक्ष ने लोहड़ी के अवसर पर पार्वती जी के ससुराल में उपहार भेजकर अपनी भूल के लिए क्षमां मांगी। तभी से लोहड़ी वाले दिन नवविवाहित कन्याओं के मायके में तौहफे भेजे जाते है।
इस दिन नए जोड़े बहुत अच्छी तरह से सजते संवरते है। लड़की सोलह श्रृंगार करती है और लड़का नई पोशाक पहनता है। आमतौर पर लड़का और लड़की की पोशाक का रंग एक ही होता है। नवविवाहित जोड़ा लोहड़ी माता की पूजा करता है। दोनों रेवड़ी, पॉपकर्न, तिल और गन्ने अग्नि में समर्पित करते है और अग्नि के फेरे लेते हैं। उसके बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लेते है। घर के सभी लोग घर में आई नई बहू का दिल से स्वागत करते हैं।