Lohri 2023: यूं तो सारे देश में लोहड़ी का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन भारत में कुछ ऐसी जगह है जहां पर लोहड़ी का त्यौहार काफी अनोखे तरीके से मानया जाता है।
चंबा की लोहड़ी भी बहूत अनोखी होती है। यहां सदियों से खूनी लोहड़ी की परंपरा चली आ रही है। आज भी चंबा में मढ़ियों को लेकर मारपीट होती है, लोहड़ी के त्यौहार पर यहां पुलिस का भी कढ़ा पहरा रहता है। माना जाता है कि सदियों से सुराड़ा क्षेत्र पर राजमढ़ी (पुरुष) का कब्ज़ा है और इस क्षेत्र में 13 मढ़ियां (महिला) है। 13 जनवरी की रात को राजमढ़ी की प्रतीक मशाल को हर मढ़ी में गाढ़कर अपना कब्ज़ा दर्शाया जाता है। इसी कब्ज़े को लेकर क्षेत्रवासियों में मारपीट होती है। ये मशाल 18 से 20 फीट लंबी होती है। इसमें डंडों और धारदार हथियारों से एक दूसरे पर हमला होता है।
जिन इलाकों में अधिक बर्फबारी होती है। वहां लोहड़ी को मनाया जाता है लेकिन उन इलाको में ये माघी नाम से प्रचलित है। वहां ये त्यौहार 3 से 4 दिन तक चलता है। वहां के लोग हारुल गाथाएं गाते है और घरों में सिड्डू बनाते हैं। सिरमौर के गिरीपार में लोहड़ी का त्यौहार काफी पारंपरिक तरीके से मनाया है। उन इलाकों में इस त्यौहार को भातीयोज कहते है।
हिमाचल में 12 जनवरी तक रोज़ शाम को लड़के और लड़कियां अलग अलग तरह का लुकड़ियां गाने जाते है। इसके बदले लोग उन्हें पैसे, मूंगफली, रेवड़ियां और अपनी पसंद की चीज़े देते है। इसके बाद 13 जनवरी को लोहड़ी पर हिरण का दिन होता है। कुछ लड़के हिरण का वेष भी धरते है। इसके बाद सभी मिलकर हिरण गाते है और सभी एक दूसरे को लोहड़ी का तौहफा देते है।
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