पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चोपट हो गई है और वहां के नागरिकों की भूखे मरने की नौबत आ गई है। लेकिन इसी बीच पाकिस्तान की शहबाज़ सरकार ने एक विधेयक पास किया है। जहां पर अब कोई भी व्यक्ति पाकिस्तान की न्यायपालिका और सशस्त्र बलों के बारें में ना तो मज़ाक कर सकता और ना ही कोई कि अपशब्द कह सकता है।
डॉन की खबर के मुताबिक, कैबिनेट सारांश में कहा गया है कि हाल के दिनों में देश में न्यायपालिका और सशस्त्र बलों पर हमले बढ़ गए हैं। महत्वपूर्ण राज्य संस्थानों और उनके अधिकारियों के खिलाफ नफरत फैलाने के उद्देश्य जानबूझ कर साइबर अभियान शुरू किया जा रहा है। सारांश में आगे कहा गया है कि इस तरह के हमले देश के की अखंडता, स्थिरता और स्वतंत्रता को कम करने पर केंद्रित होते हैं।
पाकिस्तान के नए विधेयक में कोई भी व्यक्ति न्यायपालिका, सशस्त्र बलों या उनके किसी भी सदस्य का उपहास या अपमान नहीं कर सकता है यदि किसी ने ऐसा किया तो वह दंडनीय कारावास का दोषी होगा। ऐसा करने वाले व्यक्ति को पांच साल तक के लिए या अधिकतम 10 लाख तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
इसी तरह पीपीसी की अनुसूची II में, धारा 500 में 500A नामक एक नया खंड जोड़ा गया है, जिसमें कहा गया है कि अपराधी को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जाएगा और अपराध गैर-जमानती और गैर-शमनीय होगा जिसे केवल सत्र न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।