Gyanvapi Masjid Case: देश के बहुचर्चित विवादास्पद ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अहम फैसला आ गया। ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी प्रकरण में राखी समेत पांच हिंदू महिलाओं की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर मुकदमा अदालत द्वारा सुनने योग्य पाया गया है। इसी के साथ मुस्लिम पक्ष का प्रार्थना पत्र अदालत ने खारिज कर दिया। अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र के जरिए हिंदू पक्ष ने पुराणों के साथ मंदिर के इतिहास से लेकर उसकी भौतिक संचरना तक का जिक्र अपनी मांग में किया किया है।
इस बात ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित शृंगार गौरी और अन्य देवी देवताओं के विग्रहों को 1991 की पूर्व स्थिति की तरह ही हिंदुओं के लिए नियमित दर्शन- पूजन के लिए सौंपे और सुरक्षित रखे जाने की मांग की थी।अदालत में हिंदू पक्ष की ओर से दायर प्रार्थना पत्र के अनुसार दशाश्वमेध घाट के पास आदिविशेश्वर महादेव का ज्योतिर्लिंग है और पूर्व में एक भव्य मंदिर यहां पर मौजूद था, जिसमें आज भी हिंदुओं की आस्था है। इसे लाखों सालों पूर्व त्रेता युग में स्वयं भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था। इस समय यह ज्ञानवापी परिसर प्लाट संख्या 9130 पर स्थित है।
यहां पुराने मंदिर परिसर में ही मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान, नंदी, दृश्य और अदृश्य देवी देवता हैं। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने वर्ष 1193-94 से कई बार इस मंदिर को नुकसान पहुंचाया। हिंदुओं ने उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कर मंदिर को पुनर्स्थापित किया है। सन 1585 में जौनपुर के तत्कालीन राज्यपाल राजा टोडरमल ने अपने गुरु नारायण भट्ट के कहने पर उसी स्थान पर भगवान शिव का भव्य मंदिर बनवाया। वह स्थान जहां मंदिर मूल रूप से अस्तित्व में था यानी भूमि संख्या 9130 पर केंद्रीय गर्भगृह से युक्त आठ मंडपों से घिरा हुआ था।
इस क्षेत्र में मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 ईस्वी में मंदिर को ध्वस्त करने का फरमान जारी किया था। भगवान आदि विशेश्वर के प्राचीन मंदिर को आंशिक रूप से तोड़ने के बाद, वहां 'ज्ञानवापी मस्जिद' नामक एक नया निर्माण किया गया था।