वट सावित्री व्रत प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा और अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं। इस दिन वृक्ष यानि बरगद के पेड़ की पूजा होती है। कहा जाता है इस व्रत का पालन करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है। जाने कब है वट सावित्री व्रत, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि?
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास में दो बार रखा जाता है एक अमावस्या तिथि के दिन और एक पूर्णिमा तिथि को। ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 18 मई 2023 को रात्रि 09 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ होगी और इसका समापन 19 मई 2023 रात को 09 बजकर 22 मिनट पर हो जाएगा। वट सावित्री अमावस्या व्रत 19 मई 2023, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।
ऐसा माना जाता है कि वट वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती है। वट सावित्री व्रत के दिन पतिव्रता स्त्री वट वृक्ष की परिक्रमा करती है और चारों ओर कलावा बांधती हैं। ऐसा करने से पति की आयु लंबी होती है और संतान सुख प्राप्त होता है।