Delhi Kisan Andolan: केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए कृषि कानूनों और किसानों के प्रदर्शन पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। ऐसा हो सकता है कि SC इस गतिरोध को दूर करने के लिए देश के किसी पूर्व चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करे। वहीं, इससे पहले कल चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ के अध्यक्षता में इसकी सुनवाई हुई थी।
चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, ‘‘ क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘ हम आपकी बातचीत को भटकाने वाली कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन हम इसकी प्रक्रिया से बेहद निराश हैं।’’ अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि, “हमें विश्वास नहीं है कि केंद्र स्थिति को सही ढंग से संभाल रहा है।” इसके जवाब में सीजेआई ने कहा “आपको हमें धैर्य पर व्याख्यान नहीं देना चाहिए।” इसपर फिर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम चाहते हैं कि माहौल अनुकूल हो, कानूनों को होल्ड पर रखें और समिति के पास जाएं।”
बता दें कि कृषि कानूनों और प्रदर्शनकारी किसानों पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होने वाली है। जिन याचिकाओं पर सुनवाई होगी उसमें से कुछ कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली हैं। इसी बीच यहां सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने बॉर्डर पर लोहड़ी पर्व की तैयारियां शुरू कर दी हैं। 07 जनवरी को लगभग 40 किसान संगठन दिल्ली के आसपास के इलाकों में एक बड़ी ट्रैक्टर रैली निकाली। वैसे तो 26 जनवरी को किसानों ने इससे भी बड़ा मार्च निकालने को कहा है।