Farmers Protest Day 44: नए कृषि कानून के खिलाफ किसान पिछले 44 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन किया। कड़ाके की ठंड और तेज बारिश के बीच भी किसानों के के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं। आज फिर एक बार किसानों और सरकार के बीच 8वें दौर की वार्ता होनी है। आज 2 बजे विज्ञान भवन में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर चर्चा होगी। पिछली बार बैठक में सरकार ने कृषि कानून को वापस लेने से इनकार कर दिया। सरकार कृषि कानून में संसोधन के लिए तैयार है। वहीं किसानों ने साफ कर दिया है कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते हैं वो दिल्ली की सीमा से हटने वाले नहीं है। वहीं कल सुप्रीम कोर्ट में नए कृषि कानून के खिलाफ लगाई गई याचिका पर सुनवाई को 11 जनवरी तक के लिए टाल दिया गया था। सीजेआई ने कहा था कि हम किसानों की हालत समझते हैं। सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेंगे।
ऐसे में 07 जनवरी को लगभग 40 किसान संगठन दिल्ली के आसपास के इलाकों में एक बड़ी ट्रैक्टर रैली निकाली। वैसे तो 26 जनवरी को किसानों ने इससे भी बड़ा मार्च निकालने को कहा है। किसान आज सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ट्रैक्टर मार्च किया। उन्होंने अपना रूट तय कर लिया है, जिसकी वजह से कई रास्तों पर ट्रैफिक डायवर्जन किया गया था। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस ने कहा, "क्या दिल्ली की सीमा पर जमा किसानों को कोरोना से कोई विशेष सुरक्षा हासिल है?" केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है।" चीफ जस्टिस ने कहा, "हमें नहीं लगता कि आंदोलन कर रहे लोग कोरोना को लेकर कोई विशेष सावधानी बरत रहे हैं। समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए. इस तरह से बड़े पैमाने पर लोगों का जमा होना वैसी ही स्थिति को जन्म दे सकता है, जैसा तबलीगी मरकज में हुआ था। केंद्र सरकार को लोगों के जमा होने के मसले पर दिशा निर्देश जारी खास दिशानिर्देश जारी करना चाहिए।" इस खबर के बारे में और अधिक जानने के लिए देखिए ये Video…