Makar Sankranti 2021: मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होते हैं इसी वजह से भारत में रातें बड़ी और दिन छोटे होते हैं। सर्दी का मौसम होता है। लेकिन मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू करते हैं, जिसकी वजह से इस दिन से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं साथ ही गरमी का मौसम शुरू हो जाता है।
हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में एक दिन पूर्व 13 जनवरी को ही मनाया जाता है। इस दिन अग्निदेव की पूजा करते हुए तिल, गुड़, चावल और भुने हुए मक्के की आहुति दी जाती है। इसके साथ पारम्परिक मक्के की रोटी और सरसों के साग का आनन्द भी उठाया जाता है|
उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से 'दान का पर्व' है। बिहार में भी मकर संक्रान्ति को "खिचड़ी" नाम से जाता हैं। इस दिन उड़द, चावल, तिल, चिउड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र, कम्बल आदि दान करने का अपना महत्त्व है।
महाराष्ट्र में इस दिन सभी विवाहित महिलाएँ अपनी पहली संक्रान्ति पर कपास, तेल व नमक आदि चीजें अन्य सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं।
बंगाल में इस त्योहार पर स्नान के पश्चात तिल दान करने की प्रथा है। यहाँ गंगासागर में प्रति वर्ष विशाल मेला लगता है।
राजस्थान में मकर संक्रान्ति के अवसर पर सुहागन महिलाएँ सौभाग्यसूचक वस्तु का पूजन एवं संकल्प कर चौदह ब्राह्मणों को दान देती हैं।
तमिलनाडु में मकर संक्रान्ति के अवसर पर पोंगल के रूप में चार दिन तक चलने वाला त्योहार मनाया जाता है|
असम में मकर संक्रान्ति को माघ-बिहू अथवा भोगाली-बिहू के नाम से मनाया जाता है।
गुजरात में मकर संक्रान्ति के अवसर पर पतंगोत्सव का आयोजन किया जाता है|
बता दें कि भारत के पड़ोसी देश नेपाल में मकर संक्रान्ति को फसलों एवं किसानों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है|
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